भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 5 सीट झटककर चाचा पशुपति कुमार पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज को झटका देने वाले लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान जमुई सीट से अपने एक रिश्तेदार अरुण भारती को लॉन्च कर सकते हैं। अरुण भारती चिराग पासवान के अपने बहनोई हैं। रामविलास पासवान और रीना पासवान के दो बच्चे हैं, एक चिराग पासवान और दूसरी निशा पासवान। अरुण भारती निशा पासवान के पति हैं और पेशे से इंजीनियर हैं।
अरुण भारती वैसे कांग्रेस परिवार से आते हैं। उनकी मां डॉक्टर ज्योति भोजपुर जिले की सहार सीट से दो बार कांग्रेस की विधायक रही हैं। बाद में विधान परिषद की सदस्य भी रहीं। अभी भी कांग्रेस की मुखर नेता हैं और खुलकर बोलने वाली नेत्री की पहचान रखती हैं। कांग्रेस की सरकार में वो मंत्री भी रह चुकी हैं। अरुण भारती 2019 में ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन रामविलास पासवान ने तीनों सुरक्षित सीट बेटा और दो भाइयों में बांट दिया जिससे वो मन मसोस कर रह गए। हाजीपुर से पशुपति पारस, समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान और जमुई से चिराग पासवान जीते। रामचंद्र पासवान का चुनाव के दो महीने बाद निधन हो गया जिस सीट से उनके बेटे प्रिंस राज उप-चुनाव जीतकर आए।
भतीजे चिराग के खिलाफ ताल ठोकेंगे चाचा? पशुपति पारस की महागठबंधन से दो सीटों पर चल रही बात
लोजपा-आर को इस बार मिली पांच सीटों में तीन सीटें अनुसूचित जाति (एससी) उम्मीदवारों के लिए रिजर्व हैं। हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर। चिराग ने दिल्ली में बुधवार को पार्टी की बैठक के बाद हाजीपुर सीट से खुद के लड़ने की घोषणा कर दी है लेकिन चार सीटों के कैंडिडेट का नाम नहीं बताया है। हाजीपुर के बाद एससी रिजर्व दो सीटें जमुई और समस्तीपुर बच रही हैं जहां से किसी एससी को ही लड़ाना होगा। शुरुआत में चर्चा थी कि चिराग खुद हाजीपुर से लड़े तो जमुई से संजय पासवान को उतारेंगे।
समस्तीपुर में परिवार की लड़ाई ना हो इसलिए जमुई से जीजा को लड़ाएंगे चिराग?
लेकिन जब से सीट बंटवारे का ऐलान हुआ है तब से अचानक रामविलास पासवान के दामाद अरुण भारती का नाम जमुई सीट के लिए तेजी से सामने आया है। अब चर्चा है कि अरुण भारती जमुई से लड़ेंगे और संजय पासवान समस्तीपुर से। समस्तीपुर से प्रिंस राज के लड़ने की संभावना बनी हुई है। चिराग पासवान को लग रहा है कि अगर उनके जीजा अरुण भारती समस्तीपुर से लड़ते हैं और प्रिंस राज भी उतर जाते हैं तो चुनाव जीजा बनाम बेटा हो जाएगा। परिवार की लड़ाई से संदेश गलत जाएगा। इसलिए वो जमुूई से बहनोई को और समस्तीपुर से संजय पासवान को लड़ाने की सोच रहे हैं।
चिराग पासवान ने हाजीपुर से अपने नाम का ऐलान किया, पूछा- क्या पारस मोदी की 400 सीट में रोड़ा बनेंगे?
जमुई सीट से लड़ने के लिए नीतीश के बहुत करीबी जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी भी बेताब हैं और उनके पति सयान कुणाल मंगलवार को दिल्ली में चिराग से मिलने आए थे। बुधवार को उनसे दिल्ली में स्मृति पासवान ने भी मुलाकात की। मुलाकात की फोटो पार्टी ने जारी की है। स्मृति एक आईपीएस अफसर की पत्नी हैं जिन्हें पिछले महीने सम्राट चौधरी ने भाजपा में शामिल किया था। चिराग से दिल्ली में नीतीश सरकार में जेडीयू मंत्री महेश्वर हजारी भी सपरिवार मिलकर गए हैं। हजारी समस्तीपुर से सांसद भी रह चुके हैं और चर्चा है कि अब वो अपने बेटे को चिराग की पार्टी से समस्तीपुर लोकसभा से लॉन्च करना चाहते हैं। हजारी भी पासवान परिवार के रिश्तेदार हैं।
वीणा सिंह और महबूब अली कैसर की दाल गलेगी? पार्टी तोड़ने वालों को टिकट देंगे चिराग?
मौजूदा सांसदों के हिसाब से देखें तो लोजपा-आर को पशुपति पारस की हाजीपुर, प्रिंस राज की समस्तीपुर, चिराग पासवान की जमुई, वीणा सिंह की हाजीपुर और महबूब अली कैसर की खगड़िया लोकसभा सीट मिली है। लोजपा 2019 में नवादा भी जीती थी जहां सूरजभान सिंह के भाई चंदन सिंह सांसद हैं लेकिन इस बार यह सीट बीजेपी ने रख ली है। चिराग को छोड़कर बाकी पांच सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में पार्टी तोड़ दी थी जिसके दम पर पारस केंद्र में मंत्री भी बन गए। अब चुनावी मौसम में बीजेपी ने पशुपति पारस को डंप करके चिराग पासवान को साथ कर लिया है।
चिराग ने बताया क्यों लोजपा और नीतीश ने दी सीटों की कुर्बानी? पारस के भविष्य पर कही ये बात
चिराग के पास वीणा और महबूब लौट आए हैं लेकिन ये चिराग ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों ने पार्टी तोड़ी उनको टिकट नहीं मिलेगा। चार सीटों पर उनको कैंडिडेट बताना है जिसमें दो सीट सामान्य हैं और दो सीट एससी रिजर्व है। चिराग ने साफ कहा है कि पार्टी उनको लड़ाएगी जिन्होंने संघर्ष के दिनों में साथ दिया है। जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया और वैशाली में लोजपा-रामविलास किसे लड़ाती है, उससे ये पता चलेगा कि चिराग ने किन-किन नेताओं को पार्टी में टूट के बाद बुरे दिन का साथी माना है।

