Rahul Reluctant in Bihar congress campaign on Tejashwi shoulder Modi Shah Nadda Yogi Rajnath 34 rallies road show

Rahul Reluctant in Bihar congress campaign on Tejashwi shoulder Modi Shah Nadda Yogi Rajnath 34 rallies road show


बिहार में लोकसभा चुनाव के सात चरण के दौरान चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की टॉप लीडरशिप ने कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के मुकाबले 6 गुना ज्यादा सभा और रैलियां की। गठबंधन के दूसरे दलों के कैंडिडेट के प्रचार में कांग्रेस का रिकॉर्ड और भी खराब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी के बड़े नेताओं ने बिहार में 56 सभाएं की जिसमें 22 सभा तो सहयोगी दल जेडीयू, हम, लोजपा और रालोमो के लिए आयोजित हुए। जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने 9 सभाओं में मात्र 2 सभा सहयोगी आरजेडी और सीपीआई-माले के लिए की।

इंडिया अलायंस में गठबंधन धर्म-कर्म निभाने का जिम्मा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के कंधे पर रहा। राहुल गांधी ने भागलपुर में एक रैली 20 अप्रैल को कांग्रेस के लिए की और फिर दूसरी बार 27 मई को तीन रैलियां करने आए। राहुल ने दूसरे बिहार दौरे में पटना साहिब में कांग्रेस, पाटलिपुत्र में आरजेडी और आरा में सीपीआई-माले के लिए वोट मांगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तीन बार आए और सिर्फ कांग्रेस की सीट किशनगंज, कटिहार, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और सासाराम में पांच रैलियां की। कांग्रेस के लिए देश भर में घूम रहीं प्रियंका गांधी बिहार नहीं आईं। तेजस्वी और मुकेश सहनी ही मुख्य रूप से इंडिया गठबंधन के सारे उम्मीदवारों के लिए प्रचार करते रहे।

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एनडीए कैंप में बीजेपी ने सारे बड़े नेताओं को बिहार में खूब घुमाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बिहार में 56 सभाएं हुईं। मोदी चुनाव में आठ बार बिहार आए और 15 सभाएं की। जेडीयू अध्यक्ष और सीएम नीतीश कुमार, लोजपा-आर अध्यक्ष चिराग पासवान, हम अध्यक्ष जीतनराम मांझी और रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा समेत भाजपा के प्रांतीय नेताओं की रैलियां अलग हुईं।

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बिहार में महागठबंधन के तहत आरजेडी 23, कांग्रेस 9, वीआईपी 3, सीपीआई- माले 3, सीपीआई 1 और सीपीएम 1 सीट लड़ी रही है। इसमें आरजेडी 4, कांग्रेस 3 और सीपीआई-माले 2 सीट जीती। दूसरी तरफ एनडीए में बीजेपी 17, जेडीयू 16, लोजपा-आर 5, रालोमो 1 और हम 1 सीट पर लड़ी। इस तरफ बीजेपी, जेडीयू 12-12, लोजपा-आर 5 और हम 1 सीट जीती।

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पीएम मोदी ने बिहार में 15 रैलियां और पटना में भाजपा के लिए एक रोड शो किया। मोदी की 15 रैलियों में 9 रैलियां भाजपा जबकि बाकी 6 सहयोगी दलों के लिए हुईं। मोदी ने नीतीश की जेडीयू के लिए पूर्णिया और मुंगेर, चिराग पासवान की लोजपा-रामविलास के लिए जमुई और हाजीपुर, हम के जीतनराम मांझी के लिए गया और रालोमो के उपेंद्र कुशवाहा के लिए काराकाट में रैली की। भाजपा के लिए मोदी ने नवादा, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सारण, पूर्वी चंपारण, महाराजगंज, बक्सर और पाटलिपुत्र में सभाएं की। मोदी की कई रैलियां ऐसी जगह पर रखी गईं जिससे दो-तीन सीट कवर हो सके। जैसे मोदी की एक रैली गोरेयाकोठी में थी जो जिला सीवान है लेकिन लोकसभा महाराजगंज। मोदी ने वहां से महाराजगंज के भाजपा कैंडिडेट जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, गोपालगंज के जेडीयू कैंडिडेट आलोक सुमन और सीवान की जेडीयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी कुशवाहा के लिए वोट मांगा था।

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में 11 रैलियां की। इन 11 सभाओं में कटिहार, झंझारपुर और सीतामढ़ी में शाह ने जेडीयू जबकि काराकाट में रालोमो के लिए वोट मांगा। बेतिया, मधुबनी, उजियारपुर, बेगूसराय, औरंगाबाद, आरा और सासाराम में शाह ने भाजपा के लिए सभा की। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की 10 सभाओं में 4 सभा पार्टी और 6 सहयोगियों के लिए हुई। भागलपुर, झंझारपुर, शिवहर, जहानाबाद और नालंदा में जेडीयू, खगड़िया में लोजपा-आर जबकि मुजफ्फरपुर, अररिया, मोतिहारी और आरा में जेपी नड्डा ने भाजपा कैंडिडेट के लिए वोट मांगा।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 9 सभाओं में 6 सहयोगी दलों के लिए किया। राजनाथ ने जेडीयू के लिए सुपौल, भागलपुर और बांका, लोजपा के लिए जमुई, रालोमो के लिए काराकाट में दो सभा की। भाजपा के लिए राजनाथ ने छपरा, पटना साहिब और बक्सर में सभाओं को संबोधित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 9 सभाएं भाजपा की ही सीट पर हुईं। सीएम योगी ने नवादा, औरंगाबाद, बेगूसराय, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, पटना साहिब और आरा में रैलियां की। नितिन गडकरी ने एक रैली बेगूसराय में की। सम्राट चौधरी जैसे नेता हर रोज प्रचार में जुटे रहे।

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इन सबके मुकाबले देखें तो महागठबंधन कैंप में तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के अलावा कोई जुटा हुआ नजर नहीं आया। इन दोनों ने 251 चुनावी सभाओं का आंकड़ा छू लिया। दीपांकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी, डी राजा अपने-अपने कैंडिडेट की सीट से आगे नहीं गए। सीट बंटवारे में आरजेडी की मनमानी और पूर्णिया में पप्पू यादव को लालू-तेजस्वी द्वारा प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना, राहुल गांधी की बिहार से बेरुखी को लेकर गिनाए जा रहे कई कारणों में है। बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव है। उस लिहाज से कुछ लोग इसे गठबंधन पर तेजस्वी के एकछत्र नियंत्रण की कोशिश और उसमें कांग्रेस के समर्पण के तौर पर देख रहे हैं।

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बिहार की 40 में मात्र 17 लोकसभा सीट लड़ रही भाजपा के बड़े नेताओं की 56 सभाएं राहुल गांधी के कम प्रचार और प्रियंका गांधी की गैर-हाजिरी पर सवाल खड़े करती है। लोजपा-आर के अध्यक्ष चिराग पासवान ने तो खुलकर पूछा था कि कांग्रेस के बड़े नेता क्यों नहीं आ रहे हैं।

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