Problem of flood and drought in Bihar may be solved 3090 crore loan from World Bank for this project of Nitish government

Problem of flood and drought in Bihar may be solved 3090 crore loan from World Bank for this project of Nitish government


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बिहार की जल प्रबंधन योजनाओं के लिए विश्व बैंक से सहायता मिलेगी। केन्द्र के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने विश्व बैंक से सहायता के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान कर दी है। बिहार एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन परियोजना के लिए विश्व बैंक 3090 करोड़ रुपये की मदद देगा। यह राशि ऋण के रूप में बिहार को मिलेगी। इससे राज्य की जनता को बाढ़ और सुखाड़ की समस्या से निपटने में बहुत हद तक सहुलियत मिलेगी।

दरअसल, बिहार एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन परियोजना को 4415 करोड़ की अनुमानित लागत पर छह वर्षों में करने का प्रस्ताव है। इनमें विश्व बैंक से 70 फीसदी राशि ऋण के रूप में मिलेगी। इसके तहत उसे विश्व बैंक से 3090.50 करोड़ मिलेंगे। बिहार सरकार 30 फीसदी राशि 1324.50 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस योजना से राज्य के जल जीवन हरियाली अभियान एवं हर खेत तक सिंचाई का पानी निश्चय के उद्देश्यों को पूरा किया जा सकेगा। इस परियोजना के तहत विभाग के अर्ली वार्निंग सिस्टम को और अत्याधुनिक बनाने का प्रस्ताव है। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्राथमिकता में परियोजना

परियोजना को मंजूरी मिलने से दशकों से लंबित पश्चिम कोसी नहर परियोजना को तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही बिहार के दशकों पुराने बड़े बराजों की मजबूती का अध्ययन कर उनका दीर्घकाल के लिए पुनर्स्थापन भी कराया जाएगा। पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने वित्त मंत्रालय की स्वीकृति पर प्रसन्नता जाहिर की। कहा कि इसमें राज्य में उपलब्ध जल संसाधनों का बेहतर प्रबंधन करते हुए बाढ़ के जोखिम को कम करने और बड़े पैमाने पर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता के सृजन में मदद मिलेगी। बिहार में बाढ़ एवं सुखाड़ के प्रभाव को कम करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शीर्ष प्राथमिकता रही है। इसके लिए तत्कालीन वित्त मंत्री विजय चौधरी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर परियोजना को अंतिम रूप देने में सहयोग किया था।

रियोजना में खास क्या

इस परियोजना में बिहार के अंदर की नदियों को जोड़ने की कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है। प्रमुख नदियों के अधिशेष जल को दूसरी नदियों में नियंत्रित रूप से भेजने से जहां बड़े इलाके में बाढ़ का प्रभाव कम होगा, वहीं सिंचाई सुविधाओं का भी व्यापक विस्तार होगा। इसके अलावा गंगा, गंडक, कोसी, महानंदा, बूढ़ी गंडक, कमला, बागमती आदि नदियों के तटबंधों को कटाव से बचाने के लिए संवेदनशील स्थलों पर नई तकनीक से सुरक्षात्मक कार्य कराये जाएंगे।

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