Modi Government Ministry BJP JDU Rajput Kurmi Koeri Kushwaha Vaishya Kayastha MPs misses to get minister berth

Modi Government Ministry BJP JDU Rajput Kurmi Koeri Kushwaha Vaishya Kayastha MPs misses to get minister berth


नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार में बिहार की 40 में 30 लोकसभा सीट जीतने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के 8 नेता मंत्री बनाए गए हैं जिनमें 6 लोकसभा और 2 राज्यसभा के सांसद हैं। 2019 के मुकाबले इस बार एनडीए की 9 सीटें घट गईं लेकिन मंत्री 2 बढ़ गए। 2019 में मोदी सरकार में छह मंत्री बिहार से बने थे जिनमें रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, आरके सिंह, नित्यानंद राय और अश्विनी चौबे शामिल थे। तब सरकार में बिहार से दलित, कायस्थ, भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और यादव जाति से एक-एक मंत्री बनाया गया था। इस बार सरकार चलाने के लिए जेडीयू और लोजपा-आर जैसे सहयोगी दलों के समर्थन की जरूरत है इसलिए बिहार से भाजपा के 4 और सहयोगी दलों के 4 मंत्री बने हैं। लेकिन मंत्री बढ़ने के बाद भी राजपूत, कुर्मी, कोइरी (कुशवाहा) और कायस्थ को मोदी मंत्रिपरिषद में कोई जगह नहीं मिल सकी।

बिहार में एनडीए के बैनर तले भाजपा 17, जेडीयू 16, लोजपा-आर 5, रालोमो और हम 1-1 सीट पर चुनाव लड़ी थी। इनके कैंडिडेट की जातियों का हिसाब करें तो 7 राजपूत, 7 अति पिछड़ा, 6 दलित, 5 यादव, 4 कोइरी, 3 भूमिहार, 3 ब्राह्मण, 1-1 कुर्मी, वैश्य, कायस्थ, सोनार और मुस्लिम को टिकट दिया था। इनमें 10 हार गए। राजग के जीते 30 सांसदों में 6 अति पिछड़ा, 5 राजपूत, 5 दलित-महादलित, 4 यादव, 3 भूमिहार, 2-2 कोइरी और ब्राह्मण, 1-1 वैश्य, कुर्मी और कायस्थ शामिल हैं।

मोदी सरकार में मिथिलांचल और उत्तर बिहार से सबसे ज्यादा मंत्री बने, बाकी इलाकों का क्या है हाल?

मोदी की तीसरी सरकार में जिनको मंत्री बनाया गया है उनमें जीतन राम मांझी, गिरिराज सिंह, ललन सिंह, चिराग पासवान, नित्यानंद राय, रामनाथ ठाकुर, सतीश चंद्र दुबे और राजभूषण चौधरी निषाद शामिल हैं। इसे जाति के नजरिए से देखें तो 2 भूमिहार, 2 अति पिछड़ा और 1-1 ब्राह्मण, दलित, महादलित और यादव नेता को मंत्री बनने का मौका मिला है। जिन जातियों को मोदी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है उनके सांसदों की कुल संख्या बिहार में 20 है। जो 10 सांसद बचे उनमें 5 राजपूत, 2 कोइरी और 1-1 कुर्मी, वैश्य और कायस्थ हैं। भाजपा के दो डिप्टी सीएम में एक सम्राट चौधरी कोइरी (कुशवाहा) हैं जबकि विजय सिन्हा भूमिहार हैं।

मोदी सरकार में वैशाली-समस्तीपुर को 2-2 मंत्री, शाहाबाद और सीमांचल समेत 29 जिलों की झोली खाली

राजपूत सांसदों में राधा मोहन सिंह और राजीव प्रताप रूडी पहले केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। लेकिन ना उनकी वापसी हुई ना ही जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, वीणा सिंह या लवली आनंद को मौका मिला। दोनों कुशवाहा एमपी जेडीयू के हैं- विजयलक्ष्मी कुशवाहा और सुनील कुशवाहा। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण की आठ सीटों में छह सीट एनडीए हार गया। काराकाट में एनडीए के उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भोजपुरी स्टार पवन सिंह के निर्दलीय लड़ने से शाहाबाद में ऐसी हवा चली कि बक्सर से पाटलिपुत्र तक राजपूत और कुशवाहा वोट का साथ छूट गया। आरजेडी की जीती 4, सीपीआई-माले की 2 और कांग्रेस की 1 सीट इसी इलाके की है।

पिछली बार चूके, अब मोदी सरकार में मिला मौका; पहली बार मंत्री ललन सिंह का प्रोफाइल भारी है

चर्चा है कि एनडीए के आधार वोट राजपूत और कुशवाहा के बीच तकरार से बदले माहौल में भाजपा और जेडीयू ने दोनों जातियों को इस समय ना छूने, ना छेड़ने का मन बनाया है। शायद इसलिए मोदी सरकार में बिहार से ना कोई राजपूत मंत्री बना और ना ही कोइरी कुशवाहा की एंट्री हुई। बिहार में अगले साल अंत में विधानसभा चुनाव है। अटकल है कि नीतीश कुमार छह महीने के अंदर विधानसभा का चुनाव कराना चाहते हैं ताकि एनडीए के बने माहौल को भुनाया जा सके। संभावना है कि चुनाव से पहले मोदी सरकार में बिहार के जातीय समीकरण को साधा जाए और जिनकी भागीदारी अभी रह गई है, उन्हें मौका मिल जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *