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फागुन माह के अंतिम चरण में आफत की बारिश और आसमान से गिरे ओले ने किसानों की मेहनत पर पूरी तरह पानी फेर दिया। बिहार के कई जिलों में मंगलवार को मौसम खराब रहा। जहानाबाद में रात 8:00 बजे के बाद आंधी चलनी शुरू हुई। बादल गरजने लगे। बिजली चमकने लगी। आंधी अपने साथ बारिश ले आई। थोड़ी ही देर में आसमान से पानी की बूंद की जगह ओलों की बरसात होने लगी। करीब 15 मिनट तक जमकर ओलावृष्टि हुई। ओलावृष्टि से धरती सफेद हो गई।
ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। दलहनी फसलों के अलावा गेहूं, आम तथा खेत में लगी अन्य फसलों के चौपट हो जाने की आशंका है। करीब 15 मिनट तक बिजली के गर्जन के साथ ओलावृष्टि ने शहर वासियों को भी अपने-अपने घरों में दुबके रहने को मजबूर कर दिया। यहां तक कि आवारा कुत्ते व जानवर भी इधर-उधर भागने लगे। ओला का प्रकोप समाप्त हुआ तब भी बारिश जारी रही। इस ओलावृष्टि तथा वर्षा से कई किसानों के खेत में लगी मसूर तथा चना की फसल खलिहान तक पहुंचने के भी आसार नहीं है।
भारथु गांव के किसान रामप्रवेश शर्मा ने बताया कि ओलावृष्टि से फसल पूरी तरह जमीन पर लोट जाएगी। गेहूं की बालियां निकली हुई हैं। उन बालियों को नुकसान पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि गेहूं के तने भी ओला की मार से टूट कर गिर जाएंगे। वहीं आम में लगी मंजर पूरी तरह से झड़ जाएगी।
किसान राधेश्याम प्रसाद ने बताया कि करीब डेढ़ माह से मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। अब तक थोड़ी बहुत फसल बची हुई थी, जिसे मंगलवार की शाम ओलावृष्टि ने पूरी तरह बर्बाद कर रख दिया है। खलिहान में भी दौनी के लिए चना, मसूर आदि रबी फसल रखी हुई है। बारिश के कारण मसूर काले पड़ जाएंगे। साथ ही भुसा (जानवरों का चारा )भी बर्बाद हो जाएगा।

इधर, मौसम विभाग का आकलन है कि बुधवार तक दक्षिण बिहार में बारिश तथा ओलावृष्टि हो सकती है। इस दौरान तेज हवा चल सकती है। मौसम विभाग के अनुमान ने किसानों को पस्त कर दिया है। बादलों के छाए रहने से अधिकतम तापमान में कमी आई है।
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने बताया कि किसानों के लिए यह सचमुच काफी दुखदाई है। उन्होंने कहा कि तैयार मसूर तथा चना की फसल में उत्पादन कम हो जाएगा। वहीं गेहूं की फसल में उपज दर काफी घट जाएगी।
