Ground water level decreasing rapidly in Patna Monsoon failure borings failed hand pumps also drying up

Ground water level decreasing rapidly in Patna Monsoon failure borings failed hand pumps also drying up


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बिहार में मॉनसून की दगाबाजी से पटना जिले के भूजलस्तर में तेजी से गिरावट आ रही है। आषाढ़ के बाद सावन महीने में भी भूजलस्तर कम होता जा रहा है। पटना शहरी क्षेत्र में तीन, तो ग्रामीण इलाके में सात फीट तक भूजलस्तर नीचे चला गया है। शहरी इलाके में भूजलस्तर 55 से घटकर 58 फीट पर पहुंच गया है। वहीं ग्रामीण इलाके में यह 35 से घटकर 42 फीट पर जा पहुंचा है। पिछले 15 दिनों में यह स्थिति बनी है। पीएचईडी के अनुसार भूजलस्तर कम होने से शहरी इलाके के 55 फीट वाले बोरिंग फेल कर रहे, तो ग्रामीण इलाके में निजी चापाकल सूख रहे हैं। यह स्थिति मॉनसून की बेरूखी और धान की रोपनी में भूजल का अधिक इस्तेमाल होने के चलते है। 

पटना पश्चिमी के मसौढ़ी में 42 फीट के पार भूजल स्तर चला गया है। आसाढ़ में 40 फीट पर भूजलस्तर था। सावन में दो फीट और कम हो गया, जिसके कारण यहां के निजी चापाकल सूख चुके हैं। हाथी चापाकल जिसका लेयर 70 फीट पर वह चल रहा है। वहीं स्थिति पालीगंज, दुल्हिनबाजार, फतुहा, बाढ़, बख्तियारपुर और मोकामा में बन रही है। यहां भी 40 फीट भूजलस्तर पहुंच चुका है। आसाढ़ में 35 से 37 फीट पर था। खुसरूपुर, पंडारक, अथमल गोला, बेलछी, दनियावां, बिहटा, धनरूआ, दानापुर, मनेर, फुलवारीशरीफ, नौबतपुर का जलस्तर 35 फीट पार चला गया है। पटना पूर्वी और पश्चिमी इलाके का औसत भूजलस्तर 35 से 40 फीट पर जा पहुंचा है। इन इलाकों में भी दो फीट जलस्तर कम हुआ है।  

पटना शहर में 58 फीट पर पहुंचा भूजलस्तर

शहरी इलाके में गंगा नदी के करीब वाले इलाकों को छोड़ दूर-दराज वाले क्षेत्रों कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, कदमकुआं, गर्दनीबाग समेत अन्य जगहों पर भूजल स्तर 55 से 58 फीट पर जा पहुंचा है। यहां के बोरिंग फेल कर रहे हैं। इन इलाकों में तेजी से बोरिंग हो रही है। लोग अब 120 फीट तक बोरिंग करा रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि मॉनसून में अच्छी बारिश होगी तो लेयर बढ़ जाएगा। मगर इस मनसूबे पर पानी फिर गया और लोगों के बीच समस्या गहरा गई। बारिश नहीं होने से भूजलस्तर नीचे चला गया। 

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ओपन बोरिंग और सरकारी नलकूप बंद 

ग्रामीण इलाके के ओपन बोरिंग जिसका लेयर 40 फीट पर है वे सभी सूख चुके हैं। सरकारी नलकूल भी बंद पड़ गए हैं। इसमें कई तो जल स्तर कम होने से तो कुछ तकनीकि खराबी के कारण बंद हैं। जिससे इसपर आश्रित किसानों को धान की रोपनी में परेशानी हो रही है। पीएचईडी के अनुसार बारिश होने के बाद ही भूजलस्तर में सुधार की गुंजाइश बन रही है।

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