Corona caused damage now bank giving trouble cibil became hurdle for 15 lakh businessmen of Bihar

Corona caused damage now bank giving trouble cibil became hurdle for 15 lakh businessmen of Bihar


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कोरोना के दौरान लॉकडाउन में कारोबार ठप होने की वजह से लोन की किस्त समय पर अदा नहीं कर पाने की सजा आज भी बिहार के  छोटे कारोबारी भुगत रहे हैं। उस समय उनका सिबिल स्कोर खराब हो जाने के कारण अब उन्हें बैंक लोन नहीं दे रहे। हालांकि, उन्होंने पुराना लोन चुका दिया है। इससे कारोबार में परेशानी आ रही है।  कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार और बिहार राज्य व्यावसायिक संघ के अनुसार खराब सिबिल स्कोर वाले कारोबारियों की संख्या प्रदेश में 15 से 20 लाख के बीच अनुमानित है। केवल पटना में खराब सिबिल स्कोर वाले कर्जधारकों की संख्या तीन से पांच लाख के बीच है।

बैंकों में को-लेटरल (संपत्ति) के आधार पर लोन ले चुके कई कर्जधारकों की गिरवी रखी संपत्ति जब्त की गई है। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमल नोपानी बताते हैं कि कई कारोबारियों की जमीन, मकान, कार बैंकों ने जब्त कर नीलाम कर दिया। बावजूद अब उन्हें आगे कर्ज नहीं मिल पा रहा। बिहार राज्य व्यावसायिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय गुप्ता बताते हैं कि एक बार यदि आपका सिबिल स्कोर खराब हो गया तो दो साल तक आपको कर्ज नहीं मिलेगा। यही नहीं कर्ज के लिए आपको बैंक में सौ प्रतिशत को-लेटरल देना पड़ेगा।

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मतलब पहले यदि 5 करोड़ रुपये कर्ज के लिए डेढ़ से दो करोड़ के को-लेटरल की मांग बैंक करते थे। तो अब 5 करोड़ रुपये कर्ज के लिए 5 करोड़ का को-लेटरल बैंक मांग रहे हैं।

क्या है सिबिल स्कोर

क्रेडिट इंफार्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया लिमिटेड (सिबिल) देश की क्रेडिट सूचना कंपनी है। यह कंपनी व्यक्तियों और संगठनों की क्रेडिट गतिविधियों के रिकॉर्ड रखती हैं। सिबिल की जानकारी के आधार पर क्रेडिट सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) और व्यक्तिगत क्रेडिट स्कोर (पीसीएस) तैयार की जाती है। बैंक अधिकारी उत्पल कांत बताते हैं कि सिबिल स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच होता है। अगर स्कोर 750 अंक या उससे ज्यादा होता है, तब कर्ज मिलना आसान होता है। यह 24 महीने की क्रेडिट हिस्ट्री से बनता है। अगर आपका सिबिल स्कोर 685 से कम है, तो आपको बैंकों और एनबीएफसी से कर्ज लेने में परेशानी होगी। 730 से अधिक स्कोर को आमतौर पर अच्छा माना जाता है।

राजेश गुप्ता स्टेशनरी कारोबारी हैं। इन्होंने बैंक से दस लाख रुपये का कर्ज ले रखा था। कोरोना लॉकडाउन के दौरान स्कूल-कॉलेज, कोचिंग संस्थान बंद रहने के कारण इनका कारोबार ठप रहा। कई बार नोटिस मिलने के बाद भी वे कर्ज की कई किस्तें नहीं चुका सके। बाद में जमीन और आभूषण बेचकर बैंक का कर्ज तो चुका दिया। लेकिन खराब सिबिल के कारण अब उन्हें कारोबार के लिए बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा।

मनोज साहू खाद्यान्न व्यापारी है। बैंक से कर्ज लेकर उन्होंने पटना सिटी में किराना दुकान खोली थी। कोरोना लॉकडाउन के दौरान वे अपने गांव में रहे। कई बार किस्त नहीं चुकाने के कारण उनका सिबिल स्कोर खराब हो गया। दोबारा व्यवसाय करने के लिए अब न तो बैंक से कर्ज मिल रहा।

कैट के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा बताते हैं कि एनबीएफसी आदि वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने वाले ऐसे कर्जधारकों की संख्या लाखों में है जो कर्ज की किस्त मैनुअल जमा करते हैं। मतलब बैंक निधारित तिथि के पहले वे बैंक जाकर खुद से किस्त जमा करते हैं। लॉकडाउन के समय केंद्र के निर्देश के बाद बैंकों ने कई महीनों तक बैंक अकाउंट से सीधे कर्ज की किस्तें नहीं वसूली। बाद में इनसे दोगुनी किस्त वसूली गईं। सीधे वसूले जाने वाले किस्त में छूट का असर सिबिल स्कोर पर नहीं पड़ा था।

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