Condition of Bihar Lok Sabha seats Congress never returned after 1984 Buxar is now BJP stronghold

Condition of Bihar Lok Sabha seats Congress never returned after 1984 Buxar is now BJP stronghold


बिहार की लोकसभा सीटों का हाल: 1971 के बाद कभी नहीं लौटी कांग्रेस, बक्सर अब भाजपा का गढ़ 

काशी के बाद गंगा नदी बक्सर में उत्तरायण बहती है। ऋषि-मुनि और जप-तप की भूमि रही बक्सर ने कई युद्ध देखे हैं। कहा जाता है कि त्रेता युग में यहां महर्षि विश्वामित्र का आश्रम था। भगवान राम ने यहीं ताड़का और सुबाहू जैसे राक्षसों का संहार किया था। वर्ष 1539 में अफगान शासक शेरशाह सूरी ने मुगल सम्राट हुमायूं को चौसा के युद्ध में करारी शिकस्त दी थी। फिर 1764 में अंग्रेजों और मुगलों की सेना के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें मुगल सेना हारी। इसी युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों को बिहार, बंगाल और उड़ीसा की दीवानी का अधिकार मिल गया था।

बक्सर का चुनाव भी सियासी युद्ध जैसा ही होता रहा है। बक्सर कभी कांग्रेस का गढ़ था। लेकिन, पहले भाकपा ने उससे यह सीट छीनी और अब भाजपा का भगवा झंडा लहरा रहा है। 1952 में तत्कालीन डुमरांव महाराज कमल सिंह स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में सांसद चुने गए। 1957 में दोबारा जीते। 1962 में कांग्रेस के एपी शर्मा ने जीत हासिल की। इसके बाद 1977 तक कांग्रेस का कब्जा रहा। 1977 में जनता पार्टी से रामानंद तिवारी को जीत मिली। तीन साल बाद कांग्रेस से बक्सर से प्रो केके तिवारी जीत गए। मंडल लहर के कारण 1989 में सीपीआई के तेजनारायण सिंह ने प्रो तिवारी को शिकस्त दे दी। इसके बाद फिर कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। गठबंधन में यह सीट वाम दल या राजद के खाते में जाती रही।

भाजपा ने 1996 में पहली बार इस सीट पर कब्जा किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी रहे लालमुनि चौबे ने 2009 तक लगातार चार बार जीत हासिल की। 2009 में राजद के जगदानंद सिंह ने उन्हें हरा दिया। 2014 और 2019 के चुनाव में अश्विनी चौबे (भाजपा) और जगदानंद सिंह (राजद) के बीच कड़ी टक्कर रही। दोनों बार श्री चौबे जीते। भागलपुर से आए अश्विनी कुमार चौबे को लालमुनि चौबे का टिकट काट कर भाजपा ने उतारा था। पूर्वांचल का द्वार कहे जाने वाले बक्सर पर यूपी की राजनीति का भी असर रहा है। कभी अटल बिहारी वाजपेयी यहीं से चुनाव प्रचार की शुरुआत करते थे। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी यहां आते रहे हैं।

बक्सर के चार सांसद बने केंद्र में मंत्री बक्सर के चार सांसदों ने केंद्रीय मंत्री का पद हासिल किया। इनमें से कांग्रेस के प्रो केके तिवारी तो राजीव कैबिनेट में विदेश राज्य मंत्री के ओहदे तक पहुंचे। एपी शर्मा, रामसुभग सिंह और मौजूदा सांसद अश्विनी चौबे ने केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर पूरा किया। 1967 में चुनाव जीते रामसुभग सिंह देश के रेल मंत्री बनाए गए।

कब-कब कौन रहा सांसद?

1952 कमल सिंह, स्वतंत्र

1957 कमल सिंह, स्वतंत्र

1962 ए पी शर्मा, कांग्रेस

1967 रामसुभग सिंह, कांग्रेस

1971 एपी शर्मा, कांग्रेस

1977 रामानंद तिवारी- जनता पार्टी

1980 प्रो केके तिवारी, कांग्रेस

1984 प्रो केके तिवारी, कांग्रेस

1989 तेजनारायण सिंह, सीपीआई

1991 तेजनारायण सिंह, सीपीआई

1996 लालमुनि चौबे, भाजपा

1998 लालमुनि चौबे, भाजपा

1999 लालमुनि चौबे, भाजपा

2004 लालमुनि चौबे- भाजपा

2009 जगदानंद सिंह, राजद

2014 अश्विनी चौबे, भाजपा

2019 अश्विनी चौबे, भाजपा

2019 में किसे मिले कितने मत?

भाजपा- 47.94%

राजद- 36.02%

बसपा- 8.13%

अन्य- 8.01%

बक्सर लोकसभा सीट

कुल आबादी- 1319383

पुरूष आबादी- 690574

महिला आबादी- 628796

थर्ड जेंडर- 13


जब डीजल खत्म हो गया…

लालमुनि चौबे का सियासी जीवन बेदाग रहा। अक्खड़ और फक्कड़ स्वभाव के चौबे सियासत में धन-बल के घोर विरोधी थे। वे प्रचार भी बेहद सादगी से करते थे। वे अपनी पुरानी लाल रंगी की जीप से ही क्षेत्र का भ्रमण करते थे। उनके साथ वाहनों का काफिला नहीं चलता था। उनकी ईमानदारी के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। स्वर्गीय चौबे के करीब रहे भाजपा बगेन मंडल के अध्यक्ष उदय उज्जैन बताते हैं कि 2004 के चुनाव के दौरान वह जीप से जगदीशपुर जा रहे थे। रास्ते में जीप का तेल खत्म हो गया। उनके पास पैसे नहीं थे। बिना किसी संकोच के वे डीजल के पैसे मांग बैठे। यह सुनते ही वहां खड़े कार्यकर्ता एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। तीन घंटे तक जीप नयका टोला जगदीशपुर में खड़ी रही। उदय अपने गांव कुरुथियां से पैसे लेकर पहुंचे तब जीप में डीजल भराया गया और चौबे जी रवाना हुए।

सांसद अश्विनी कुमार चौबे का दावा

नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में पिछले दस साल में जितना कार्य हुआ है, उतना पिछले 70 साल में कभी नहीं हुआ है। बक्सर को मिनी काशी के रूप में देशवासी जानने लगे हैं। आने वाले दिनों में पूरे विश्व में बक्सर की पहचान स्थापित होगी। यह सब नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री के काल में ही होगा। -, 

ये परियोजनाएं हुईं पूरी

बक्सर के सदर अस्पताल में कैंसर के इलाज के लिए टेलीमेडिसीन की सुविधा

इटाढ़ी के बैरी में 50 हजार मीट्रिक टन की क्षमता वाले साइलो गोदाम का निर्माण

बक्सर में भारतीय खाद्य निगम के डिपो का कार्यालय

बक्सर और चौसा में आरओबी व बक्सर के इटाढ़ी गुमटी पर एफओबी का निर्माण

बक्सर को रामायण सर्किट में शामिल कराना

बक्सर के विभिन्न गंगा घाटों का निर्माण

रघुनाथपुर व डुमरांव में आरओबी निर्माण

इन योजनाओं के पूरी होने की उम्मीद

ब्रह्मपुर में गोकुल जलाशय का विकास व निर्माण

वर्षों से बंद पड़े लाइट एंड साउंड शो का पुर्नविकास

अहिरौली से गंगा नदी पर बनने वाले नये तीन लेन के पुल तक एलिवेटेड रोड का निर्माण

बक्सर से चौसा होते हुए गाजीपुर व वाराणसी रोड तक एनएच का निर्माण

बक्सर, चौसा व रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन पर महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव

बक्सर में रीवर फ्रंट के निर्माण के साथ अहिरौली सहित अन्य घाटों का आधुनिकीकरण व निर्माण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *