बिहार में अभी हर रोज औसतन सात-साढ़े सात हजार मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। हालांकि बिजली कंपनी ने 9774 मेगावाट बिजली का करार कर रखा है। इसमें एनटीपीसी की ओर से छह हजार मेगावाट से अधिक बिजली मिल जाती है। वहीं निजी कंपनियों से 500 मेगावाट बिजली मिल जाती है।
बिहार में अगले दस वर्षों में बिजली की खपत दोगुनी हो जाएगी। बिहार में जिस अनुपात में बिजली की खपत बढ़ रही है, उस हिसाब से केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने यह अनुमान लगाया है। प्राधिकरण ने देश के सभी राज्यों के लिए ऐसी रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2033-34 तक बिहार में 17 हजार 97 मेगावाट बिजली खपत होने का अनुमान है। अबतक बिहार में अधिकतम 8005 मेगावाट बिजली की खपत हुई है।
दरअसल राज्य में साल-दर-साल बिजली की खपत में वृद्धि हो रही है। वर्ष 2005 में मात्र 700 मेगावाट बिजली की खपत होती थी। वर्ष 2012 के पूर्व बिहार में औसतन 12-15 घंटे बिजली आपूर्ति होती थी। अधिकतम विद्युत आपूर्ति 1700 मेगावाट थी। 2012 में 21 अगस्त को 1751 मेगावाट बिजली आपूर्ति की गई। 2013 में 3 अक्टूबर को 2231 मेगावाट बिजली दी गई। जबकि 2014 में 21 अक्टूबर को 2831 मेगावाट तो 2015 में 2 अक्टूबर को 3459 मेगावाट बिजली आपूर्ति हुई।
पांच हजार मेगावाट का आंकड़ा 2018 में पार हुआ। इसके बाद आठ जून 2021 को कंपनी ने 6094 मेगावाट बिजली आपूर्ति की। 15 जुलाई 21 को कंपनी ने 6627 मेगावाट बिजली आपूर्ति की। साल 2022 में कंपनी ने रिकॉर्ड 6727 मेगावाट बिजली आपूर्ति की। वर्ष 2023 में 7576 मेगावाट बिजली आपूर्ति की गई। इस वर्ष बीते 23 सितंबर को 8005 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हुई जो अब तक का सर्वाधिक है।
हर रोज औसतन 7500 मेगावाट हो रही है खपत
बिहार में अभी हर रोज औसतन सात-साढ़े सात हजार मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। हालांकि बिजली कंपनी ने 9774 मेगावाट बिजली का करार कर रखा है। इसमें एनटीपीसी की ओर से छह हजार मेगावाट से अधिक बिजली मिल जाती है। वहीं निजी कंपनियों से 500 मेगावाट बिजली मिल जाती है।
संभावित खपत -(मेगावाट)
2025-26 – 9743
