बिहार में जारी जमीन सर्वेक्षण बाहरी शहरों में नौकरी कर रहे लोगों के लिए नई मुसीबत बन गया है। लोग नौकरी पेशा छोड़कर भूमि सर्वे के लिए अपने गांव पहुंच रहे हैं। लेकिन जमीनी कागजात जुटाने में पसीने छूट रहे हैं। और नौकरी चिंता भी सता रही है।
बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वेक्षण जारी है। जो लोगों के लिए नई परेशानी बन गई है। बाहर रहकर नौकरी, पेशा और रोजगार करने वाले लोग जमीन का सर्वे कराने के लिए अपना काम धंधा छोड़कर हर दिन बड़ी संख्या में गांव लौट रहे है। सूत्र बताते है कि नौकरी छोड़ कर बाहर से गांव आए लोगों के सामने इन दिनों दो तरह की परेशानी पैदा हो गई है। लोगों को एक तरफ गांव छोड़ने पर जमीन अपने नाम नहीं होने का डर सता रहा है, तो दूसरी तरफ टाइम पर ड्यूटी नहीं लौटने पर नौकरी जाने का खतरा है।
सर्वेक्षण कार्य के लिए एलपीसी, अद्यतन भूमि की लगान रशीद, खतियान समेत तमाम कागजात जुटाने और दुरूस्त कराने में लोगों का पसीना छूट रहा है। इन दिनों भूमि के कागजात जुटाने एवं दुरुस्त कराने के लिए लोगों को अंचल कार्यालय और जिला मुख्यालय में रेकड रूम की दौड़ लगाते हुए देखा जा रहा हैं।
कुछ लोग बाप, दादा व परदादा का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बेचैन दिख रहे है। सूत्रों की माने तो पारिवारिक भूमि के कागजात की उलझन ऐसी उलझी हुई है, कि उसे ठीक करने में लोगों दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को शहर के मुंडेश्वरी सिनेमा हॉल के पास मिले अनिल कुमार सिंह, राधेश्याम सिंह और सुरेन्द्र पासवान ने बताया कि हम लोग दिल्ली और मुंबई में रहकर नौकरी करते हैं। लोगों ने बताया कि चार दिन पहले घर से फोन आया था कि जिले में भूमि सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है, गांव आइए। आज हम लोग नौकरी पेशा छोड़कर भूमि की सर्वेक्षण कराने के लिए गांव आए हुए हैं।
वहीं सोनहन बस स्टैंड पर मिले राजेश बिन्द,अलगू बिन्द, मनीजर राम ने बताया कि हमलोग भूमि की सर्वेक्षण कराने के लिए गांव जा रहे हैं। लोगों ने यह बताया कि हरियाणा और पंजाब में रहकर फैक्ट्री में काम करते हैं, घर से फोन आया कि भूमि का सर्वे हो रहा है जल्द गांव आ जाइए। यह तो एक उदाहरण है जिले के ऐसे हजारों लोग हैं जो सर्वेक्षण कार्य के लिए अपनी जॉब छोड़कर गांव आए हुए हैं
एनओसी के लिए बहन-बुआ के घर लगा रहे दौड़
भूमि सर्वेक्षण कार्य को लेकर इन दिनों बहन-बुआ की अहमियत बढ़ गई है। सरकार ने भूमि सर्वेक्षण के लिए वंशावली बनवाने का निर्देश दिया है। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो वंशावली पर परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बहन और बुआ का नाम भी दर्ज करना अनिवार्य है। यह भी कहा जा रहा है कि बहन बुआ अगर इस बात की एनओसी दे देगी कि हमें भाई-बाप की जमीन से कोई मतलब नहीं है। तो वह भूमि उनके मायके वालों के नाम सर्वे में दर्ज हो जाएगी। ऐसे में वंशावली पर एनओसी के लिए लोग बहन और बुआ के पास भी दौड़ लगा रहे है।
खतियान के लिए रेकड रुम के बाहर बिता रहे रात
भूमि सर्वेक्षण में खतियान के लिए इस दिनों लोगों की भारी भीड़ रेकड रूम के बाहर दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो जिले के अधौरा, नुआंव और दूर से आने वाले अन्य प्रखंडों के कुछ लोग खतियान के लिए कलेक्ट्रेट परिसर के बरामदे में ही रात गुजार रहे हैं। जबकि कुछ लोग अपना सारा काम धंधा छोड़कर भोर में ही कलेक्ट्रेट स्थित रेकड रूम के पास पहुंच जा रहे हैं। लोगों को इस बात की अंदेशा है कि कहीं रेकड रूम पहुंचने में विलंब हुआ तो उन्हें समय पर खतियान नहीं मिलेगा। ऐसी ही भीड़ अंचल कार्यालय पर भी लग रही है।
