बिहार के जहानाबाद जिले में एक झोलाछाप डॉक्टर की करतूत से बवासीर का ऑपरेशन कराते ही होमगार्ड के एक जवान की मौत हो गई। घटना घोसी थाना इलाके के दक्षिण खपुरा मोड़ पर स्थित एक निजी क्लीनिक की है। मृत जवान की पहचान मोही यादव के रूप में हुई है। वह घोसी के शेखपुरा गांव का रहने वाला था और हुलासगंज थाने में पदस्थापित था। होमगार्ड जवान की मौत होते ही क्लीनिक संचालक मौके से फरार हो गया। मृतक जवान के घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है।
मृतक के गांव के निवासी रंजीत कुमार और उनके भतीजा संजीव कुमार ने बताया कि उनके चाचा मोही यादव होमगार्ड के जवान थे। बवासीर के कारण जख्म हो जाने की वजह से वे दर्द से काफी परेशान थे। पहले उन्होंने घोसी के बरामसराय निवासी एक कथित डॉक्टर के पास दिखाया। आरोप है कि कमीशनखोरी के चक्कर में उन्हें खपुरा मोड़ के पास संचालित एक निजी क्लीनिक में इलाज के लिए भेजा गया।
जान-पहचान की वजह से कथित डॉक्टर के कहने पर परिजन होमगार्ड जवान को लेकर उक्त क्लीनिक में आ गए जहां संचालक ने ऑपरेशन करने की बात कही। पैसे का लेनदेन तय हुआ। ऑपरेशन करने के तुरंत बाद उनके शरीर में कंपकंपी होने लगी और उनकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई। आनन-फानन में होमगार्ड जवान को जहानाबाद सदर अस्पताल में लाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बच सकी। सदर अस्पताल के डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
घटना की सूचना पाकर घोसी के विधायक रामबली सिंह सदर अस्पताल में पहुंचे। बड़ी संख्या में गांव के लोग एवं परिजन भी आ गए। विधायक का कहना है कि पूरे सूबे में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत खराब है। इसमें सुधार की लगातार मांग की जा रही है। प्राइवेट इलाज महंगा है। सरकारी सुविधा सही नहीं रहने की वजह से लोग प्राइवेट अस्पताल की ओर जा रहे हैं। वहां झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर लोगों की जान जा रही है। उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतक के परिजन को मुआवजा और एक परिवार को नौकरी देने व दोषी झोलाछाप डॉक्टर पर कार्रवाई करने की मांग की है।

बता दें कि जहानाबाद जिले में स्वास्थ्य सेवा के नाम पर अवैध व्यवसाय काफी तेजी से फल-फूल गया है। कई झोलाछाप डॉक्टर बिना डिग्री के क्लीनिक खोले हुए हैं। वहां साइन बोर्ड लगाया जाता है। हर तरह के लोगों का इलाज किए जाने का दावा किया जाता है। बाहर से डॉक्टर बुलाकर ऑपरेशन करने का झांसा दिया जाता है और उसके एवज में लोगों से मोटी रकम वसूली जाती है। पहले भी झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर लोगों की जान चली गई है। हाल के दिनों में जिला प्रशासन के आदेश पर प्राइवेट अस्पतालों की जांच की गई। कुछ को सील भी किया गया लेकिन इसमें पर्याप्त सुधार नहीं हो रहा है।
