RJD fail to woo EBC Vote Bank in Bihar second big jolt for Tejashwi Yadav in two months Rupauli By poll signals big fault

RJD fail to woo EBC Vote Bank in Bihar second big jolt for Tejashwi Yadav in two months Rupauli By poll signals big fault


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बिहार के पूर्णिया जिले की रूपौली विधानसभा सीट पर हाल ही में हुए उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू के कलाधर मंडल को 8246 मतों से हराया। शंकर सिंह को 68070 मत हासिल हुए जबकि जेडीयू के कलाधर प्रसाद मंडल को 59824 मत प्राप्त हुए । राजद उम्मीदवार बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं। उन्हें कुल 30619 वोट प्राप्त हुए। यानी उनकी हार करीब 37000 वोटों के अंतर से हुई है। शंकर सिंह जहां राजपूत समुदाय से आते हैं, वहीं मंडल और भारती अत्यंत पिछड़ा समुदाय (EBC) के गंगौता जाति से ताल्लुक रखते हैं।

बड़ी बात यह है कि बीमा भारती इसी सीट से पांच बार विधायक रह चुकी हैं लेकिन इस बार वह अपनी ही परंपरागत सीट से चुनाव हार गईं। इसकी बड़ी वजह ईबीसी वोटरों की नाराजगी बताई जा रही है। दो महीने पहले भी उन्हें पूर्णिया लोकसभा सीट पर हुए आम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। तब उन्हें पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हराया था। रुपौली उसी पूर्णिया लोकसभा सीट के तहत आता है। उस समय भी ईबीसी वोटरों ने खुद को राजद से दूर ही रखा। 

इस विधानसभा क्षेत्र में 25 फीसदी आबादी EBC कैटगरी की है, जबकि राजपूतों की आबादी सिर्फ 7 फीसदी है। बावजूद इसके राजपूत जाति से आने वाले शंकर सिंह ने जीत दर्ज की। इससे साफ जाहिर होता है कि ईबीसी समुदाय ने अपनी ही कैटगरी से आने वाली बीमा भारती को वोट नहीं दिया। हालांकि, 2020 के विधान सभा चुनाव में उसी बीमा भारती ने जेडीयू के टिकट पर तीसरी बार और वैसे पांचवीं जीत दर्ज की थी और लोकसभा चुनावों से ऐन पहले जेडीयू छोड़कर राजद का दामन थाम लिया था।

उधर, तेजस्वी यादव को भरोसा था कि विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के सर्वेसर्वा मुकेश साहनी को साथ लेकर उड़नखटोला से उड़ने और चुनावी रैलियों को संबोधित करने से मल्लाहों समेत अन्य ईबीसी समुदाय के मतदाता लालटेन को वोट देंगे लेकिन मल्लाहों के अलावा किसी और जाति का वोट ट्रांसफर करा पाने में मुकेश साहनी नाकाम रहे हैं। रुपौली उप चुनाव में भी मल्लाह और गंगौता के अलावा किसी और ईबीसी जाति के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा राजद को नहीं मिल सका है।

दो महीने के अंतराल में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब ईबीसी समुदाय ने राजद से मुंह मोड़ लिया है और राजद को वहां अपमानजनक तरीके से हार का सामना करना पड़ा है। पहली बार निर्दलीय पप्पू यादव की वजह से तो दूसरी बार भी निर्दलीय की वजह से राजद को हार का समान करना पड़ा है। हालांकि, दोनों चुनावों में जेडीयू के उम्मीदवारों की भी हार हुई है लेकिन राजद की हार ज्यादा अपमानजनक है क्योंकि वोटों का अंतर बहुत ज्यादा है।

लोकसभा चुनावों में राजद ने कुल तीन ईबीसी उम्मीदवारों को उतारा था। इनमें पूर्णिया से खुद बीमा भारती, मुंगेर से अनीता देवी महतो जो गैंगस्टर छवि के अशोक महतो की पत्नी हैं और कुर्मी चेहरे के रूप में चुनाव लड़ी और तीसरे उम्मीदवार के रूप में सुपौल से चंद्रहास चौपाल थे लेकिन तीनों ही ईबीसी उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं ईबीसी वोट बैंक का दावा करने वाले मुकेश साहनी को भी तीन सीटें दी गई थीं लेकिन उनकी पार्टी का भी कोई चेहरा नहीं जीत सका। साफ है कि ईबीसी समुदाय ने राजद पर भरोसा नहीं किया। 

अगले साल राज्य में विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं क्योंकि ईबीसी समुदाय को नीतीश का वोट बैंक समझा जाता है। हालांकि, राजद ने 4 फीसदी आबादी वाले कुशवाहा वोट बैंक में सफल सेंधमारी की है लेकिन जब तक ईबीसी वोट बैंक में सेंधमारी नहीं होती एक अन्ने मार्ग की राह मुश्किल हो सकती है। बता दें कि राज्य में हुई जाति जनगणना के मुताबिक ईबीसी समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा 36 फीसदी है।

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