CPI ML prestige at stake in last phase Lok Sabha elections will 33 year drought end

CPI ML prestige at stake in last phase Lok Sabha elections will 33 year drought end


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लोकसभा चुनाव के सातवें और चरण में लेफ्ट पार्टी सीपीआई माले की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। माले की सभी तीन सीटों पर एनडीए से इसी चरण में चुनाव होना है। इस कारण पार्टी ने इस चरण में पूरी ताकत झोंक दी है। अंतिम चरण में एक जून को बिहार की आठ सीटों पर मतदान होना है। इसमें से नालंदा, आरा और कारकाट पर इंडिया गठबंधन की ओर से सीपीआई माले के प्रत्याशी मैदान में हैं। बीते 33 सालों से लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाने वाली माले ने इस बार प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी।

आरा से सीपीआई माले के सुदामा प्रसाद का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आरके सिंह से है। काराकाट में राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के उपेंद्र कुशवाहा, निर्दलीय पवन सिंह और माले के राजाराम सिंह के बीच त्रिकोणीय मुकाबला की तस्वीर बन रही है। नालंदा में सीपीआई माले के संदीप सौरभ और जदयू के कौशलेंद्र कुमार के बीच मुकाबला है। यहां लेफ्ट पार्टी सीएम नीतीश कुमार के गढ़ को ढहाने के लिए हर दांव पेच चल रही है।

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33 साल का सूखा खत्म हो पाएगा?

लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के प्रचार के अंतिम दिन गुरुवार को माले नेताओं ने पूरा जोर लगाया। कई जगह सभाएं की और रोड शो किए। दरअसल, भाकपा माले ने 1991 में आईपीएफ के बैनर तले आरा सीट पर जीत दर्ज की थी। तब से अब तक हुए सात लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी को बिहार की किसी सीट पर जीत नहीं मिली है। इस बार गठबंधन के बैनर तले माले प्रत्याशी मैदान में हैं। इसलिए पार्टी को जेठ की दुपहरी में 33 साल का सूखा खत्म होने की उम्मीद है।

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