कब्रिस्तान के लिए मिट्टी नहीं मिली और मजदूर भी फर्जी, मनरेगा में हुआ गजब खेल

कब्रिस्तान के लिए मिट्टी नहीं मिली और मजदूर भी फर्जी, मनरेगा में हुआ गजब खेल


बिहार में मुजफ्फरपुर के कटरा प्रखंड में मनरेगा योजना में करोड़ों की गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। स्थानीय लोगों की मांग पर हुई जांच में बीडीओ ने गड़बड़ी और अनियमितता की शिकायत को सही पाते हुए डीडीसी को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद डीडीसी ने मामले की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

प्रखंड में यह गड़बड़ी धनौर, पहसौल व लखनपुर के अलावा शिवदासपुर, सोहागपुर, विसौथा, कन्या विद्यालय, कब्रिस्तान, उमावि. में पाई गई है। करोड़ो रुपये के इस फर्जीवाड़े के मामले में बीडीओ की रिपोर्ट के आधार पर डीडीसी ने जांच के आदेश दिए है। बीडीओ ने रिपोर्ट में बताया है कि फर्जीवाड़े में पंचायत के जनप्रतिनिधि व मनरेगा के पदाधिकारी की मिलीभगत है। बीडीओ ने कहा है कि मनरेगा में यह गड़बड़ी फर्जी फोटो अपलोड कर एक ही कार्यस्थल को बदलकर योजना चलाकर की गई है।

डीडीसी ने एसडीसी सह वरीय पदाधिकारी कटरा, कार्यपालक अभियंता स्थानीय क्षेत्र अभियंता संगठन पूर्वी व डीपीओ मनरेगा को बीडीओ के जांच प्रतिवेदन की कॉपी उपलब्ध कराई है। जिसमें वर्णित तथ्यों के अलावा जांच प्रतिवेदन में अंकित तथ्यों पर बिंदुवार जांच कर जांच प्रतिवेदन एक हफ्ते में मांगा। बीडीओ ने रिपोर्ट में बताया है कि शिवदासपुर में दो योजना में मिट्टी भराई व फर्जी मजदूर की फोटो अपलोड करने में अनियिमितता हुई है। 

शिवदासपुर के सोहागपुर गांव में कब्रिस्तान की मिट्टी भराई में फर्जी मजदूर की फोटो लगाने व मिट्टी नहीं भरने का आरोप लगाया गया, जिसकी जांच में न तो कार्यस्थल पर मजदूर मिले, न मिट्टी भराई के साक्ष्य मिले। वहीं विसौथा में भी कार्यस्थल पर एक भी मजदूर नहीं था, न मिट्टी भरने का साक्ष्य मिला। स्पष्टीकरण मांगने पर जवाब में मास्टर रोल जीरो कर भुगतान नहीं करने की बात कही गयी। इसी पंचायत के कन्या विद्यालय में मिट्टी भराई के काम में जिस मजदूर की हाजिरी था वह राज्य के बाहर नौकरी करता है।

शिवदासपुर कब्रिस्तान व उ.मा. विद्यालय में एप पर एक ही तिथि में एक ही व्यक्ति की फोटो दोनों योजना पर लगी है। धनौर में मवेशी अस्पताल व पशु चिकित्सक केंद्र दोनों एक ही कार्यस्थल का नाम बदलकर भुगतान किया गया। जिसका कार्य वर्ष एक ही है, लेकिन वित्तीय वर्ष अलग-अलग है। 

स्पष्टीकरण में कार्य पूर्ण नहीं होने पर दूसरी योजना खोलने की बात व कार्यस्थल का नाम बदलकर योजना चलाने की बात कही गयी। पंचायतों के निरीक्षण के दौरान कार्यस्थल पर मनरेगा मजदूर की फोटो फर्जी पाई गई। मजदूरों से कार्य कराने का कोई साक्ष्य नहीं मिला। अब इस मामाले की उच्चस्तरीय जांच के बाद कार्रवाई की तलवार संबंधित जनप्रतिनिधि व कर्मचारी पर लटक गई है।

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